विकिरण और पदार्थ की द्वैत प्रकृति नोट्स क्लास 12 पीडीएफ
★ इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन- किसी धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने की घटना को इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन कहते है।
किसी विकिरण से निकलने वाली ऊर्जा असतत पैकेटो के रूप में होती है जिसे क्वांटम या फोटॉन कहते है।
# प्रत्येक क्वांटम ( फोटॉन ) की ऊर्जा विकिरण के आवृति (v) का समानुपाती होती है।
Ε α v
=>E = hv ,जहाँ h = प्लांक स्थिरांक = 6.64 × 10⁻³⁴ Js , ν = आवृति
# प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा = E = hν = hc / λ
# फोटॉन का संवेग = p =hν / c = h / λ .
# फोटॉन विद्युत् उदासीन होते है और उनका rest mass शुन्य होता है।
# फोटॉन विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्रो से प्रभावित नहीं होते।
# फोटॉन निर्वात में प्रकाश की चाल से चलता है।
# फोटॉन अन्य कणो के साथ परस्पर क्रिया कर सकते है। जैसे -इलेक्ट्रान
# फोटोन- इलेक्ट्रान के टक्कर में,संवेग और कुल ऊर्जा दोनों संरक्षित रहती है।
# v वेग से गतिशील किसी कण का द्रव्यमान
m = m₀ / √(1 - v² / c²)
जहाँ -
m₀ = कण का rest mass
c = प्रकाश का वेग
किसी धातु पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों को निकालने मात्र के लिए आवश्यक आपतित प्रकाश की न्यूनतम आवृति को देहली आवृति कहते हैं।
अथवा किसी धातु पृष्ठ पर आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम आवृति जिससे धातु के इलेक्ट्रॉन पृष्ठ से ठीक बाहर आ जाये ,उसे दहली आवृति कहते है।
★ कार्य फलन (Work function)- इसे से ϕ₀ सूचित करते है।
किसी धातु पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों को निकालने मात्र के लिए आवश्यक ऊर्जा को उस धातु का कार्य फलन कहते है।
# अलग - अलग धातुओं का कार्य फलन अलग- अलग होता है।
ϕ₀ = hν₀
★ आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण (Einstein's equation of photoelectric effect)
or
धातु का कार्य फलन =ϕ₀ = hν₀
इलेक्ट्रान का द्रव्यमान = m
धातु सतह पर इलेक्ट्रान का वेग = Vmax
धातु सतह पर इलेक्ट्रान की गतिज ऊर्जा = Kmax =½ mv²max
hv =ϕ₀+ Kmax
=> hv=hν₀+ ½ mv²max
=> ½ mv²max= hv-hν₀
=> ½ mv²max= h( v-ν₀)
यही आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत् समीकरण है।
★ प्रकाश विद्युत् प्रभाव के नियम (Laws of photoelectric effect)-
लेनार्ड और मिलिकन ने अपने प्रयोगों पर आधारित प्रकाश विद्युत प्रभाव संबंधी निम्न नियम दिए।
1. किसी धातु के सतह से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर, आपतित प्रकाश के तीव्रता का समानुपाती होती है।जरूर पढ़े- 12th भौतिकी के लघु प्रश्न-उत्तर
2. उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ,आपतित प्रकाश के आवृति का समानुपाती होता है।
3. किसी धातु पर आपतित प्रकाश (विकिरण) की आवृति एक न्यूनतम मान से कम होने पर कोई इलेक्ट्रान उत्सर्जित नहीं होता है ,इस आवृति को देहली आवृति कहते है।
4. धातु की सतह पर प्रकाश पड़ते ही तुरंत इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगता है। प्रकाश के आपतित होने और इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जित होने के बीच समय पश्चता 10−9 sec से भी छोटा होता है।
★ प्रकाश विद्युत् सेल (Photoelectric cell)- यह एक यंत्र है, जो प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलता है। इसे विद्युत नेत्र भी कहते है।
सिद्धांत - यह प्रकाश विद्युत् प्रभाव की घटना पर आधारित यन्त्र है।
बनावट- इसमें निर्वातीत किया हुआ ग्लास या क्वार्ट्ज का ट्यूब होता है।जिसमे एक अर्द्ध बेलनाकार प्रकाश संवेदी cathode C तथा एक लूपनुमा anode A होता है, जो Battery के क्रमश -ve तथा +ve होता है ।
क्रियाविधि - जब उपयुक्त आवृति का प्रकाश Cathode पर आपतित होता है तो प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते है। ये प्रकाश इलेक्ट्रॉन anode की ओर आकर्षित होते है जिससे परिपथ में प्रकाश विद्युत धारा (अल्प मान की ) प्रवाहित होने लगती है। आपतित प्रकाश को रोकने पर प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन भी रुक जाता है,जिससे परिपथ में कोई प्रकाश विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है।.
अनुप्रयोग (Application)-
1. सड़क पर लगी बतियो के switch के automatic on-off में
2. Automatic दरवाजो में
3. Burglar alarm एवं fire alarm में
4. सौंदर्य प्रतियोगिताओ में रूपमापी के रूप में
5. सिनेमाघरों में ध्वनिपुनरुत्पादक के रूप में
★ निरोधी विभव (Stopping potential) or अंतक विभव ( cutoff potential)- इसे ν₀ से सूचित करते है।
प्रकाश विद्युत धारा को रोकने के लिए आवश्यक विभवांतर को निरोधी विभव कहते है।
प्रकाश विद्युत धारा तब शून्य होगी जब निरोधी विभव अधिकतम गतिज ऊर्जा वाले प्रकाश एलेक्ट्रोनो को प्रतिकर्षित करें।
Kmax = eν₀ …i
अब ,आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत् समीकरण से
Kmax= hν-hν₀ ... ii
From equation- i & ii
eν₀= hν- hν₀
ν₀=( h/e ) v- hν₀/e
ν₀=( h/e ) v- ϕ₀/e
यह निरोधी विभव का सुत्र है। y=mx+c से तुलना करने पर ν₀ (निरोधी विभव ) तथा ν(आवृति) का ग्राफ एक सरल रेखा है ,जिसका ढाल h/e है।
इसे ऐसे भी लिख सकते है ν₀=hc/e( 1/λ-1/ λ₀) .
★ द्रव्य तरंगे (Matter wave) or डिब्रोग्ली तरंग (De-brogli wave)-
गतिशील कणो में जो तरंग होता है, उसे De-brogli तरंग कहते है । इन्हें द्रव्य तरंग भीकहते हैं ।
द्रव्य तरंगो का तरंगधैर्य λ=h/p=h/mν
जहाँ -
h= प्लान्क स्थिरांक
m= गतिशील कण का द्रव्यमान
v= गतिशील कण का वेग
Proof-
फोटॉन की ऊर्जा = hν
गतिशील कण का द्रव्यमान =m
गतिशील कण का वेग =v
E=hν
=> mc2 =h c/ λ [चूँकि c= νλ ]
यहाँ c को कण के वेग v से replace करने पर
=> mν2=hν/ λ
=> mν= h/ λ
=> λ= h/mν= h/p
यह डेब्रोग्ली तरंगधैर्य के लिए व्यंजक है।
★ किसी गतिशील इलेक्ट्रान का डेब्रोग्ली तरंगधैर्य (Debrogli wavelength of a moving electron)-
यदि किसी इलेक्ट्रॉन जिसका द्रव्यमान m तथा आवेश e है ,को v विभिांतर से त्वरित किया जाता है। तो विद्युतक्षेत्र द्वारा किया गया कार्य ev उसके गतिज ऊर्जा के बराबर होगा।
k=ev ….i
k=½ mv2=p2/2m …..ii
P2 /2m=ev=k
P=√2mk = √2mev
अब ,डिब्रोग्ली तरंगधैर्य
λ= h/p= λ/√2mk=h/√2mev
यह डिब्रोग्ली तरंगधैर्य का अपेक्षित व्यंजक है।
अब , h,m,e का मान रखने पर
λ=1.227/√v nano-meter
★ डेविसन-जरमर का प्रयोग (Davisson-Germer Experiment)-
1927 में, डेविसन ( Davisson)और जरमर (Germer) ने प्रयोग द्वारा यह दिखाया कि गतिशील द्रव्यात्मक कण भी एक तरंग की तरह व्यव्हार करते है।
इस प्रयोग को दिखाने के लिए डेविसन -जरमर ने निकेल क्रिस्टल के लिए उपयुक्त तरंगधैर्य प्राप्त किया और इलेक्ट्रॉनों को त्वरित किया। फिर इन त्वरित इलेक्ट्रॉनों को nickel crystal पर लंबवत गिराया गया। इसके बाद, हम इलेक्ट्रॉन बीम की तीव्रता को आपतित किरण के साथ विभिन्न कोनो पर मापते हैं।
पाया गया कि आपतित किरण के साथ एक विशेष कोण पर इलेक्ट्रॉन बीम की तीव्रता अधिकतम होती है। यह इलेक्ट्रॉन बीम के विवर्तन का केंद्रीय अधिकतम (central maxima) दर्शाता है।
क्योंकि विवर्तन एक तरंगीय गुण है ,अतः गतिशील कण तरंगो की तरह व्यवहार करता है।
Note- इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप में गतिशील इलेक्ट्रोनो के तरंग गुणों का व्यवहार किया जाता है। इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप का विभेदन क्षमता प्रकाशिये माइक्रोस्कोप से ज्यादा होता है।
कोई टिप्पणी नहीं