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प्रत्यावर्ती धारा कक्षा 12 प्रश्न उत्तर हिंदी

प्रिय छात्रों कक्षा 12  के प्रत्यावर्ती धारा कक्षा 12 प्रश्न उत्तर हिंदी महत्वपूर्ण  लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर  के साथ एक स्थान पर एकत्र किए गए हैं ताकि आप सभी को अपनी 12  बिहार बोर्ड परीक्षा के साथ-साथ यूपी बोर्ड परीक्षा, झारखंड बोर्ड परीक्षा, एमपी बोर्ड परीक्षा ,राजस्थान बोर्ड परीक्षा, और अन्य बोर्ड परीक्षाके लिए तैयार किया जा सके। अधिक सहायता के लिए मेरे नवेंदु क्लासेस यूट्यूब चैनल पर जाएं।

प्रश्न(1)-
  दिष्ट धारा और प्रत्यावर्नी धारा में अंतर बतावे |       
 उत्तर- दिष्ट धारा                         
1.इसका परिणाम और दिशा नियत रहता है।                                        
2.यह कम खतरनाक होता है।              
3.यह महँगा होता है।                           
4.दिष्ट धारा को एक स्थान से दुसरे स्थान तक भेजने में अत्यधिक विधुत खर्च होता है।                            
5.D.C के Voltage को transformer की सहायता से नहीं बदल सकते है।          
6.संसार के कुल विधुत का यह 10% भाग है। 
 प्रत्यावर्नी धारा 
1.इसका परिणाम और दिशा आवर्ती रूप से बदलता रहता है। 
2.यह अधिक खतरनाक होता है। 
3.यह सस्ता होता है। 
4. प्रत्यावर्नी धारा को एक स्थान से दुसरे स्थान तक भेजने में बहुत कम विधुत खर्च होता है। 
5. Transformer की सहायता से A.C को  low Voltage को high Voltage  में तथा high Voltage को low में बदला जा सकता है। 
6. संसार के कुल विधुत खर्च  का यह 90% भाग है।   
प्रश्न(2)- प्रत्यावर्ती धारा के माध्य मान और मूल माध्य वर्ग मान को परिभाषित करें।
    बिहार बोर्ड - 2013 
उत्तर- नवेंदु कक्षा के नोट्स में पढ़ें
प्रश्न(3)- प्रत्यावर्ती धारा के माध्य मान और शिखर मान के बीच संबंध स्थापित करें।
    बिहार बोर्ड - 2019 
उत्तर- नवेंदु कक्षा के नोट्स में पढ़ें
प्रश्न(4)- प्रेरणिक प्रतिघात से आप क्या समझते हैं?
    बिहार बोर्ड - 2020 
या
प्रेरणिक प्रतिघात क्या है?
   बिहार बोर्ड - 2014 
उत्तर-  प्रेरकत्व युक्त प्रत्यावर्ती धारा परिपथ  (L-AC circuit) के प्रभावी प्रतिरोध को प्रेरणिक प्रतिघात कहते है।
 या
 किसी प्रेरकत्व द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में उत्पन्न अवरोध को प्रेरणिक प्रतिघात कहते है।
 * इसे ${{X}_{L}}$ से सूचित करते है।
 ${{X}_{L}}=\omega L$=$2\pi fL$
* प्रेरणिक प्रतिघात का SI मात्रक ओम है।
प्रश्न(5)-प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात और प्रतिबाधा क्या हैं ?
    बिहार बोर्ड - 2019 
उत्तर- प्रतिघात- प्रेरकत्व युक्त प्रत्यावर्ती धारा परिपथ  (L-AC circuit) या संधारित्र युक्त प्रत्यावर्ती धारा परिपथ  (C-AC circuit) के प्रभावी प्रतिरोध को प्रतिघात कहते है।
या
 किसी प्रेरकत्व द्वारा अथवा किसी संधारित्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में उत्पन्न अवरोध को प्रतिघात कहते है।
 * प्रतिघात की SI मात्रक ओम है।
*प्रतिघात दो प्रकार का होता  है
(i) प्रेरणिक प्रतिघात  - इसे ${{X}_{L}}$ से सूचित करते है।
 ${{X}_{L}}=\omega L$=$2\pi fL$
(ii) संचकीय प्रतिघात - इसे ${{X}_{C}}$ से सूचित करते है।
 ${{X}_{c}}=\frac{1}{\omega C}$=$\frac{1}{2\pi fC}$
प्रतिबाधा-  प्रेरकत्व-संधारित्र-प्रतिरोध युक्त प्रत्यावर्ती धारा परिपथ  (L-AC circuit) के प्रभावी प्रतिरोध को प्रतिबाधा कहते है।
 या
प्रतिरोध और प्रतिघात (प्रेरकत्व द्वारा या संधारित्र द्वारा या दोनों द्वारा उत्पन्न प्रतिघात) के संयुक्त प्रभाव द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में उत्पन्न अवरोध को प्रतिबाधा कहते है।
* प्रतिबाधा का SI मात्रक ओम है।
* प्रतिबाधा को Z से सूचित करते है।
$Z=\sqrt{{{R}^{2}}+{{\left( {{X}_{L}}-{{X}_{C}} \right)}^{2}}}$=$\sqrt{{{R}^{2}}+{{\left( \omega L-\frac{1}{\omega C} \right)}^{2}}}$
प्रश्न(6)-अनुनादी परिपथ एवं अनुनादी आवृति से  क्या समझते है ?
उत्तर:- अनुनादी परिपथ -जिस परिपथ के प्रेरणिक प्रतिघात और संचकीय प्रतिघात का मान बराबर हो उसे अनुनादी परिपथ कहते है।
* अनुनादी परिपथ के लिए 
     ${{X}_{L}}={{X}_{C}}$  
* अनुनादी परिपथ में प्रतिबाधा न्यूनतम होती है जो प्रतिरोध के बराबर होती है।
* अनुनादी परिपथ में धारा अधिकतम होती है।
* अनुनादी परिपथ में, आरोपित वोल्टेज प्रतिरोध के सिरों के वोल्टेज के बराबर होता है।
अनुनादी आवृति - प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रवाहित धारा की वह आवृति जिसके लिए प्रेरणिक प्रतिघात और संचकीय प्रतिघात का मान बराबर हो , उसे अनुनादी आवृति कहते है। 
इसे ${{f}_{r}}$से सूचित करते है |   
 अनुनादी आवृति के लिए 
   ${{X}_{L}}={{X}_{C}}$              
   $\omega L=\frac{1}{\omega C}$                              
   ${{\omega }^{2}}=\frac{1}{LC}$                            
    $\omega =\frac{1}{\sqrt{LC}}$                          
   $2\pi {{f}_{r}}=\frac{1}{\sqrt{LC}}$
   ${{f}_{r}}=\frac{1}{2\pi \sqrt{LC}}$
  यह अनुनादी आवृत्ति के लिए व्यंजक है। 
प्रश्न(7)- विद्युतीय अनुनाद की व्याख्या कीजिए।
       बिहार बोर्ड - 2021 
उत्तर- वह घटना, जिसमें (प्रत्यावर्ती धारा) विद्युत परिपथ का प्रेरणिक प्रतिघात और संचकीय प्रतिघात का मान एक दूसरे के बराबर (या समान) हो , उसे विद्युतीय अनुनाद कहते है।
* अनुनादी परिपथ के लिए 
  ${{X}_{L}}={{X}_{C}}$ 
* विद्युतीय अनुनाद की स्थिति में प्रतिबाधा न्यूनतम होती है जो प्रतिरोध के बराबर होती है।
* विद्युतीय अनुनाद की स्थिति में धारा अधिकतम होती है।
* विद्युतीय अनुनाद की स्थिति में, आरोपित वोल्टेज प्रतिरोध के सिरों के वोल्टेज के बराबर होता है।
प्रश्न(8)- Q-फैक्टर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- क्वालिटी-फैक्टर या Q-फैक्टर  एक गुणांक है जिसका उपयोग अनुनाद की तीक्ष्णता को मापने के लिए किया जाता है।
Q-फैक्टर = L  (या C) के सिरों का विभवान्तर  / R के सिरों का विभवान्तर
अत,
  अनुनाद की स्थिति में प्रेरकत्व (या संधारित्र) के सिरों के विभवान्तर और प्रतिरोध के सिरों के विभवान्तर (या आरोपित वोल्टेज) के अनुपात को Q-फैक्टर कहते है।
* Q-फैक्टर मात्रक हीन और विमा हीन है।
  L-C-R परिपथ मे
$Z=\sqrt{{{R}^{2}}+{{\left( {{X}_{L}}-{{X}_{C}} \right)}^{2}}}$
अनुनाद की स्थिति में
 ${{X}_{L}}={{X}_{C}}$
Z = R
अब, आरोपित वोल्टेज = I X Z = IR
प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर = I X R= आरोपित वोल्टेज
प्रेरकत्व के सिरों का विभवान्तर =$I{{\omega }_{r}}L$
संधारित्र के सिरों का विभवान्तर =$I\times \frac{1}{{{\omega }_{r}}C}$ 
Q=$\frac{I{{\omega}_{r}}L}{IR}$= $\frac{{{\omega}_{r}}L}{R}$
  या
Q=$\frac{I\times \frac{1}{{{\omega }_{r}}C}}{IR}$=$\frac{1}{RC{{\omega }_{r}}}$
लेकिन ${{\omega}_{r}}=\frac{1}{\sqrt{LC}}$
इसलिए,
$Q=\frac{1}{R}\sqrt{\frac{L}{C}}$
प्रश्न(9)- चोक कुंडली ( choke coil )क्या है ?
उत्तर:- यह एक कुंडली है जिसकी सहायता से प्रत्यावती धारा परिपथ में धारा के मान को नियंत्रित किया जाता है। 
 यह कुंडली नर्म लोहे के परतदार प्लेट पर ताँबे की तार को लपेट कर बनाया जाता है। 
यह वाटलेस धारा के सिद्धांत पर कार्य करता है। क्योंकि धारा विद्युत् वाहक बल  से 90 डिग्री कला कोण से पीछे होता है। जिसके कारण यह बिना किसी ऊर्जा क्षति के प्रत्यावर्ती धारा को नियंत्रित करता है।
प्रश्न(10)- मोटर स्टार्टर या चोक कुंडली के उपयोग की व्याख्या करें।
              बिहार बोर्ड - 2016 
उत्तर- मोटर स्टार्टर का उपयोग ट्यूब लाइट के संचालन को शुरू करने के लिए प्रारंभिक उच्च धारा (या उच्च वोल्टेज) प्रदान करने के लिए किया जाता है।
         जबकि दूसरी ओर चोक कुंडली का उपयोग ट्यूब लाइट के काम करते समय करंट (वर्किंग वोल्टेज को बनाए रखने के लिए) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न(11)-  प्रत्यावर्ती धारा को मापने के लिए तप्त तार यंत्र का प्रयोग क्यों जाता है ?
उत्तर:- विधुत धारा के उष्मीय प्रभाव के कारण उत्पन्न ऊष्मा धारा की दिशा पर निर्भर नहीं करती है। उत्पन्न ऊष्मा धारा के वर्ग का समानुपाती होती है। चुकि प्रत्यावर्ती धारा में अर्द्धचक्र के लिए धारा एक दिशा में तथा आधे चक्र के लिए विपरीत दिशा में प्रवाहित होता है। यही कारण है की प्रत्यावती धारा को मापने के लिये दिशा से स्वतंत्र उष्मीये प्रभाव पर आधारित यंत्र तप्त तार यंत्र का प्रयोग किया जाता है। 
प्रश्न(12)- ट्रांसफार्मर क्या है ? परिणमन अनुपात क्या है?
        बिहार बोर्ड - 2014 
उत्तर- ट्रान्सफ़ॉर्मर- ट्रांसफार्मर एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग कम एसी वोल्टेज को उच्च एसी वोल्टेज और उच्च एसी वोल्टेज को कम एसी वोल्टेज में बदलने के लिए किया जाता है।
परिणमन अनुपात- ट्रांसफॉर्मर के आउटपुट वोल्टेज (या सेकेंडरी कॉइल के टर्न) से इनपुट वोल्टेज (या प्राइमरी कॉइल के टर्न) के अनुपात को ट्रांसफॉर्मेशन का अनुपात कहा जाता है।
इसे k या r द्वारा निरूपित किया जाता है।
  \[r=\frac{{{V}_{s}}}{{{V}_{p}}}=\frac{{{n}_{s}}}{{{n}_{p }}}\]
*स्टेप-अप ट्रांसफॉर्मर के लिए $r\rangle 1$
*स्टेप-डाउन ट्रांसफॉर्मर के लिए $r\langle 1$  
प्रश्न(13)- ट्रांसफार्मर क्या है ? इसकी दक्षता से आप क्या समझते हैं ?
      बिहार बोर्ड - 2013 
उत्तर- ट्रान्सफ़ॉर्मर- ट्रांसफार्मर एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग प्रत्यावर्ती धारा के low  वोल्टेज को high वोल्टेज में तथा high  वोल्टेज को low वोल्टेज में बदलने के लिए किया जाता है।
ट्रांसफॉर्मर की दक्षता - किसी ट्रांसफॉर्मर की आउटपुट पावर और इनपुट पावर के अनुपात को ट्रांसफॉर्मर की दक्षता कहते हैं।
 * इसे $\eta $ द्वारा दर्शाया जाता है।
  ट्रांसफॉर्मर की दक्षता = आउटपुट पावर/इनपुट पावर=$\frac{{{P}_{o}}}{{{P}_{i}}}$
* इसे प्रतिशत में भी व्यक्त किया जाता है।
  ट्रांसफॉर्मर की दक्षता=$\frac{{{P}_{o}}}{{{P}_{i}}}$x100%
* एक ट्रांसफॉर्मर की दक्षता सामान्यतः 95% से 99% तक होती है।
प्रश्न(14)- उच्चायी ट्रांसफॉर्मर का क्या उपयोग होता है?
       बिहार बोर्ड - 2020 
उत्तर- उच्चायी ट्रांसफॉर्मर का उपयोग प्रत्यावर्ती धारा के low  वोल्टेज को high वोल्टेज में बदलने के लिए किया जाता है।
प्रश्न(15)- एक ट्रांसफॉर्मर में होनेवाली ऊर्जा क्षति को बताइए।
       बिहार बोर्ड - 2015 
उत्तर- एक ट्रांसफॉर्मर में ऊर्जा की निम्नलिखित चार क्षतियाँ होती हैं। 
(i)ताम्र क्षति  - एक ट्रांसफार्मर के ताम्बे की कुंडलियों में कुछ (बहुत कम ) प्रतिरोध होता है जिसके कारण ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा की क्षति होती है। ऊर्जा के इस क्षति को ताम्र क्षति कहते है।
(ii) लौह क्षति-  जब किसी ट्रांसफॉर्मर की कुण्डलियों से बहने वाली धारा की दिशा और परिमाण में परिवर्तन होता है तो नरम लोहे के क्रोड से जुड़ा फ्लक्स भी बदल जाता है जिसके कारण नरम लोहे के क्रोड में भँवर  धाराएँ प्रेरित होती हैं। भारी मात्रा में भँवर धाराओं के कारण नरम लोहे का क्रोड गर्म हो जाता है। जिसके कारण  ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा की क्षति होती है। ऊर्जा के इस क्षति को लौह क्षति कहते है।
(iii) फ्लक्स क्षति- द्वितीयक कुंडली से गुजरने वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की कुल संख्या प्राथमिक कुंडली से गुजरने वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की तुलना में थोड़ी कम होती है। कुछ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं क्रोड से न गुजर कर हवा माध्यम से गुजर जाती है। अतः प्राथमिक कुण्डली से जुड़ा कुल  फ्लक्स, द्वितीयक कुण्डली से पूर्ण रूप से नहीं जुड़ पाता है। द्वितीयक कुंडली में फ्लक्स के नुकसान के कारण ऊर्जा की क्षति को फ्लक्स क्षति कहते है।
(iv) शैथिल्य क्षति -  ट्रांसफॉर्मर की कुंडलियों से प्रवाहित होने वाली प्रत्यावर्ती धारा की दिशा में परिवर्तन के कारण नरम लोहे के क्रोड को कई चुम्बकन चक्रों से गुजरना पड़ता है जिसके कारण नरम लोहे का क्रोड गर्म हो जाता है। जिससे ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा की हानि होती है। ऊर्जा के इस क्षति  को शैथिल्य क्षति कहते है।
प्रश्न(16)- ट्रांसफॉर्मर में ताम्र क्षति को समझाइए।
        बिहार बोर्ड - 2021 
उत्तर- ताम्र क्षति- एक ट्रांसफार्मर के ताम्बे की कुंडलियों में कुछ (बहुत कम ) प्रतिरोध होता है जिसके कारण ऊष्मा ऊर्जा के रूप में ऊर्जा की क्षति होती है। ऊर्जा के इस क्षति को ताम्र क्षति कहते है।
प्रश्न(17)- ट्रांसफर्मर का क्रोड परतदार बनाया जाता है क्यों ?
उतर:- भँवर धाराओं के कारण होने वाली विधुत ऊर्जा के बर्बादी को कम करने के लिए ट्रांसफार्मर का क्रोड परतदार बनाया जाता है। 
चुकि हम जानते है की जब किसी धातु के टुकड़े से सम्बन्धित फलक्स में परिवर्तन होता है तो धातु के टुकड़े के पुरे volume में भँवर धाराएँ उत्पन्न होती है। ये भँवर धाराएँ इतनी प्रबल होती है की धातु का टुकड़ा अत्यधिक गर्म हो जाता है। जिसके कारण विधुत ऊर्जा की बर्बादी ऊष्मा ऊर्जा के रूप में होती है। इसी बर्बादी को कम करने के लिए ट्रांसफार्मर का क्रोड परतदार बनाया जाता है। 
प्रश्न(18)- ट्रांसफार्मर की कुंडली से धारा प्रवाहित होने पर उसका क्रोड गर्म हो जाता है ,क्यों ?
उत्तर-जब किसी ट्रांसफार्मर की कुंडली से धारा प्रवाहित होती है तो ट्रांसफार्मर का क्रोड बार-बार चुम्बकित-विचुम्बकित होता है। जिसके कारण ऊर्जा की क्षति क्रोड में ऊष्मा ऊर्जा में रूप में होती है ,जिससे ट्रांसफार्मर का क्रोड गर्म हो जाता है। .
प्रश्न(19)-  ट्रांसफार्मर इस्पात क्या है ?
उत्तर-नर्म लोहा में 4% सिलकन मिला दिया जाये तो  इसे ट्रांसफार्मर इस्पात कहते है।इससे बना क्रोड ट्रांसफार्मर के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यह शैथिल्य क्षति को कम करता है। 
 प्रश्न(20)- लम्बी दुरी तक विधुत संचरण में ट्रांसफार्मर की भूमिका का संक्षेप में वर्णन करें। 
उत्तर:- माना कि उत्पन्न विधुत की विधुतशाक्ति = 20000 वाट 
                                             विभवान्तर = 200 वोल्ट 
 शक्ति  = विभवांतर x धारा                  
 20000 = 200 × I             
I = 100A

.......(I)      

    यदि ट्रांसफार्मर की सहायता से प्रत्यावर्ती विभवान्तर 200v को 1000v में बदल दिया जाए तो
      P = V I
 20000 = 1000 × I 
                              
I = 20 A
..........(II)  
 समीकरण  (i) तथा (ii) से स्पष्ट है की transformer से low Voltage को high Voltage में बदलने पर धारा का मान घट जाता है। जिससे कम धारा को अत्यधिक दुरी तक संचरित करने के लिए पतले तार कि आवश्कता होती है। जिससे तारो के खरीदने का खर्च कम आएगा तथा धारा के मान कम होने के कारण ऊष्मा ऊर्जा के रूप मे विधुत ऊर्जा की बर्बादी भी कम होगी। 
     अतः ट्रांसफार्मर की सहायता से प्रत्यावर्ती धारा को कम लागत खर्च और कम विद्युत् खर्च पर अत्यधिक दुरी तक संचरित किया जाता है।  
प्रश्न(21)- धारितीय प्रतिघात को समझायें। 
         बिहार बोर्ड - 2022 
उत्तर-  संधारित्र युक्त प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (C -AC circuit) के प्रभावी प्रतिरोध को धारितीय प्रतिघात कहते है।
 या
 किसी संधारित्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में उत्पन्न अवरोध को धारितीय प्रतिघात कहते है।
 * इसे ${{X}_{C}}$ से सूचित करते है।
  ${{X}_{C}}=\frac{1}{\omega C}=\frac{1}{2\pi fC}$

धारितीय प्रतिघात का SI मात्रक ओम है।

 अध्याय 1 विद्युत आवेश एवं क्षेत्र लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 2 स्थिरवैद्युत विभव एवं धारिता लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 3 वर्तमान विद्युत् धारा लघु प्रश्न -उत्तर  

अध्याय 4 गतिमान आवेश और चुम्कत्व लघु प्रश्न -उत्तर   

अध्याय 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य लघु प्रश्न -उत्तर    

अध्याय 6 विद्युत चुम्बकीय प्रेरण लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 8 विद्युत चुंबकीय तरंगें लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 10 तरंग प्रकाशकी लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 11 विकिरण एवं पदार्थ की द्वैत प्रकृति लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 12 परमाणु लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 13 नाभिक लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी : पदार्थ,युक्तियाँ तथा सरल परिपथ लघु प्रश्न -उत्तर 

अध्याय 15 संचार व्यवस्था लघु प्रश्न -उत्तर   

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